भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रभाग (आईकेएस) के सम्बन्ध में
अधिकांश ज्ञात इतिहास के लिए एक जीवंत एवं पुरातन सभ्यता, जो भारतीय उपमहाद्वीप में ज्ञान एवं विनिर्माण का वैश्विक केंद्र थी। एक ऐसी संस्कृति, जिसने मानवता के समस्त आयामों के विकास पर बल दिया एवं परस्पर सद्भाव के साथ-साथ पर्यावरण एवं इसके विस्तृत स्वरुप अर्थात ब्रह्मांड के साथ भी मनुष्य का एकात्म भाव जागृत किया। विश्व भर के सामयिक घटनाक्रम भलीभांति स्पष्ट कर रहे हैं कि विकास का वर्तमान प्रारूप विकृत एवं प्रकृति विरुद्ध है। वर्तमान आर्थिक व्यवस्थाओं के कारण विश्व भर में बढ़ती असमानताएं विकास के नवीन प्रतिमानों की प्रबल आवश्यकता की ओर इंगित करती है।
"वसुधैव कुटुम्बकम" के उदार भाव से ओतप्रोत भारतीय ज्ञान परम्परा (आईकेएस) एकमात्र भारतीय पद्धति है जो समस्त विश्व के लिए कल्याणकारी है। एआईसीटीई स्थित शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस प्रभाग का प्रमुख ध्येय विद्यार्थी पीढ़ियों के लिए ऐसी प्रशिक्षण प्रक्रिया का प्रारम्भ करना है कि वे समस्त विश्व का परिचय भारतीय पद्धतियों से करा सकें। यदि हम इस शताब्दी में स्वयं को विश्व गुरु के रूप में प्रस्तुत चाहते हैं, तो अत्यावश्यक है कि हम अपनी पारंपरिक धरोहर को जाने एवं विभिन्न कार्यों के निष्पादन की 'भारतीय पद्धति से देश ही नहीं, समस्त विश्व को अवगत कराएं। इसी दृष्टिकोण के साथ शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस प्रभाग की स्थापना एआईसीटीई में की गयी थी, जो भारतीय ज्ञान परम्परा के समस्त पक्षों पर अंतर्विषयक एवं संघीय अंतर्विषयक ( ट्रांस इंटरडिसिप्लिनरी) अनुसंधान का अभिवर्धन करने तथा आगामी शोध एवं सामाजिक अनुप्रयोगों के निमित्त आईएस से सम्बद्ध ज्ञान का संरक्षण एवं प्रसार करने हेतु प्रयासरत है।
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी ने राष्टीय शिक्षानीति -२०२० की अनुशंशा के अनुसार “सेन्टर फॉर हिन्दू स्टडीझ” इस नाम से इंडियन नॉलेज सिस्टमस (IKS Center) का सेंटर यूनिवर्सिटी में स्थापित किया है, इस सेन्टर पर भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध अभ्यासक्रम, विविध उपक्रम, सर्टिफिकेट कोर्स, पी.जी. प्रोग्राम, एवं अन्य गतिविधिओ के माध्यम से वर्तमान शिक्षा के मुख्य प्रवाह अप्रेलिखित (Undocumented) में ‘भारतीय ज्ञान’ जो प्राय पाया जाता है उसके प्रलेखन के लिए एवं शिक्षा में भारतीय दृष्टिकोण, भारतीय चिंतन, भारतीय दर्शन, एवंम वर्तमान के विविध शिक्षा प्रवाहों मे भारतीय परंपराओं निहित ज्ञान के केंद्र कार्यरत है ।
"भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र" के रुप में संपूर्ण सृष्टिके शुभ कल्याण हेतु दर्शन, बोध, प्रज्ञा, एवं दिव्यज्ञान का केंन्द्र रहे भारतवर्ष में सनातन काल से परा अपरा विद्याओं में हुए असंख्य - अनुसंधान, अन्वेषण के 'हिन्दू अध्ययन' से वर्तमान के सभी प्रवाहो को पुनः प्रकाशित करना, जिससे भारत "सर्वे भवन्तु सुखिनः" के अपने देवदत्त व्रत की पूर्ती कर सके।
उपरोक्त उद्देश्य हेतु विविध अभ्यासक्रम्, शोधप्रकल्प एवं अन्य अपक्रमों के माध्यम से विद्या के अनन्य प्रवाहो में विशुद्ध "भारतीय हिन्दू चेतना" से सोच सके, वर्तमान समय की विधाओं को हिन्दू द्दष्टि से देख सके और यथार्थ मार्ग इंगित कर सके ऐसी नेतृत्वकर्ता नयी पीढ़ी के निर्माण हेतु प्रयत्नशील रहना।